Sexuality
आज वैश्विक और स्थानीय रूप से हम जहाँ भी हैं, मैं दिल से आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आपने मुझे हमेशा ही मजबूत और निर्भीक रहना सिखाया है।
एक आदमी होने का मतलब है काफी कुछ भी अपने काबू में रखना। अपना व्यवसाय, अपनी भावनाएं, अपना घरबार, और खासकर अपनी यौन ज़िंदगी।
कम उम्र में विवाह और बाल विवाह एक बेहद विखंडित और असमान समाज का लक्षण है। जब भी यह पूछा गया कि लोग अपने बच्चों की कम उम्र में शादी क्यों करते हैं तो “दहेज़”, “गरीबी” और “यौन हिंसा का डर” आदि कारण सबसे ज़्यादा सुनाई दिए।
क्वीयरनेस एक स्वतंत्र पहचान है जो छोटे बच्चों सहित किसी को भी स्वीकार करती है, जो निर्धारित बाइनरी के पथ से अलग चलते हैं।
गुमशुदा घरों से जुडी कहानियाँ आज दुनिया के कोने-कोने में मिलती हैं, लेकिन फिर भी देखा गया है कि लोग…
रुपसा मल्लिक द्वारा लिखित सोमिंदर कुमार द्वारा अनुवादित पिछले दो दशकों से प्रजनन प्रौद्योगिकी (रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी आरटी)[1] का उपयोग आम…
क्या हमें पोक्सो कानून के इन प्रावधानों को चुनौती नहीं देनी चाहिए क्योंकि इस कानून के अंतर्गत बच्चों की स्वायत्तता और उनके मौलिक अधिकारों को नज़रंदाज़ करते हुए प्रभावी रूप से उनके बीच आपसी सहमति से हर तरह के यौन संपर्क और व्यवहार को अपराध मान लिया गया है?
अस्वस्थ्य मर्दानगी या विषाक्त पुरुषत्व का हिंसक होने के लिए ज़रूरी नहीं है कि जाहिर तौर पर मौखिक या शररिक रूप से घातक हो। इसके लक्षण रोज़मर्रा के वार्तालाप या अंतरंग बातचीत से भी सामने आते है।
मोहनस्वामी – लेखक वसुधेंद्र अनुवाद – रश्मि तेरदल (हार्पर पेरेनियल Harper Perennial, 2016) जब मैं छात्र जीवन में पढे गए…
इन प्लेनस्पिक के इस काम व यौनिकता के मुद्दे को सुनने के बाद पहला विचार मन में आया कि मैं कार्यस्थल पर होने वाली यौन हिंसा के बारे में लिखूंगी। फिर ऑफिस में रोमांटिक रिश्तों व लव स्टोरी के बारे में याद आया जो हम सब अपने काम के आसपास देखते या सुनते आये हैं और यह बॉलीवुड फिल्मों का भी पसंदीदा मुद्दा रहा है। मुझे ये बड़ा ही रोमांचक लगा, और जब मैंने लिखना शुरू किया तो एक सवाल मेरे दिमाग में आया – क्या कार्यस्थल पर इस मुद्दे से सम्बंधित कोई नीति है?
किसी शास्त्रीय नृत्य को देखने वाले एक आम दर्शक के रूप में मुझे लगा कि यह सब किस तरह से मुझसे और मेरे जीवन से सम्बद्ध है। इन नृत्य प्रदर्शनों में दिखाए जाने वाले कथानक अक्सर वे कहानियाँ होती है जिन्हें मैंने बचपन से सुना है फिर भी मुझे इसमें कोई विशेष रूचि नहीं लगती। लेकिन सुश्री रत्नम के दृष्टिकोण के आधार पर, पुराने कथानकों को आधुनिक रूप देने के उनके प्रयासों और किसी पुरानी परंपरा के लुप्त हो जाने पर दुःख प्रकट करने के स्थान पर नृत्य को एक नया रूप देने का के प्रयास को देखते हुए भरतनाट्यम और अन्य शास्त्रीय नृत्य अब और अधिक प्रसांगिक हो जाते हैं जिनसे आप आसानी से जुड जाते हैं।
नहलाए जाने और नए कपड़े मिलने पर बुला बहुत खुश नहीं होती थीं। खाना वह ख़ुशी-ख़ुशी ले लेती थीं –…
आज के समय में जब विश्व में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की घटनाएँ बढ़ी हैं और सामाजिक मान्यताओं में भी बदलाव आया है, ऐसे में केवल विवाह ही, महिलाओं के एक जगह से दूसरी जगह प्रवास करने का एकमात्र कारण नहीं रह गया है।
कुछ साल पहले ही मुझे एहसास हुआ कि जब भी मैं भविष्य के बारे में सोचती हूँ, तो मेरे मन में हमेशा अपनी सबसे करीबी महिला मित्रों की तस्वीर उभरती है। मेरे हर फ़ैसले पर सबसे ज़्यादा असर उन्हीं का पड़ता है…
दो कविताएं – हवेली आधुनिकता के आवरण में क्षयग्रस्त पारंपरिक पुरुषत्व को दर्शाती है, जबकि चारपाई कठोर और लचीली अभिव्यक्तियों के बीच विरोधाभास प्रस्तुत करती है, जहां जो जिस चारपाई पर बैठते हैं, उसके गुणों को अपनाते हैं, जो भिन्न-भिन्न पुरुषवादी पहचानों का प्रतीक है।