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हमें इस तरह से ढाला गया है कि तथाकथित ‘विकल्प’ जो हमारे संबंधों को परिभाषित करते हैं, वे भी हमारे लिए हुए विकल्प नहीं बल्कि समाज द्वारा सृजित हैं। हालाँकि, जैसा कि हमने देखा है, इन सभी चुनौतियों के बावजूद, महिलाएँ, जब वे खुद को व्यक्तियों के रूप में महत्वपूर्ण मानने लगती हैं, तो वे अपने परिवेश और परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत करने की रणनीति तैयार करती हैं।
उत्पीड़न करने की आदतों को बदलने की कोशिश में नीतियों का बदला जाना ज़रूरी होता है, लेकिन इसके लिए यह भी ज़रूरी है कि लोग उत्पीड़न के विरोध में अपनी आवाज़ उठाएँ।
पहनावे से जुडी नैतिक पुलिसिंग व लैंगिक भेदभाव को लेकर एक लंबा इतिहास रहा है। जहां पुरुषों के लिये उनका पहनावा उनके सामाजिक स्टेटस को दिखाता है वहीँ दूसरी ओर महिलाओ के लिये उनके पहनावे को लेकर मानदंड एकदम अलग है! जोकि महिलाओं के पहनावे के तरिके की निंदा करते हुए एक व्यक्तिगत पसंद पर नैतिक निर्णय बनाते हैं! भारत में कई राज्यों में महिलाएँ या लडकियां कुछ खास तरह के कपड़े नहीं पहन सकती है या फिर मैं ये कहूंगी कि ऐसे कपडे जिसमें वो ज्यादा आकर्शित लगती हों! जबकि पुरुष वही तंग जींस पहन सकते हैं पारदर्शी शर्ट पहनते हैं और धोती पहन सकते हैं!
सेक्स और यौनिकता को लेकर हमारे समाज में बहुत सारी वर्जित बातें हैं – चाहे वो हस्तमैथुन के बारे में…
नींद की गलियों में क्यों कर छुप-छुपा कर
ख़्वाबों के मुलायम धागे बाँधती रहती है
सयद साद अहमद द्वारा लिखित “हम क्या वास्तव में सच जानना चाहते हैं? सत्य की क्या आवश्यकता है? उसके बदले…
मेरे एक 22 वर्षीय क्लाइंट, जो आटिज्म के साथ रहते हैं और जिनकी बौद्धिक कार्य क्षमता सीमित है, हाल ही…
डिजिटल माध्यमों तक पहुँच आसान हो जाने से उपेक्षित वर्ग भी अब यौनिकता से जुड़ी सामग्री को देखने, पढ़ने और तैयार कर पाने में सक्षम हुए हैं और इस तरह की जानकारी तक पहुँच पाने में उनके सामने पहले आने वाली कठिनाईयाँ अब दूर होती नज़र आ रही है।
मेरी सफलता के बारे में और उस पर मेरे अविवाहित होने की बात सुनकर अधिकांश पुरुष मेरे प्रति कुछ अधिक जिज्ञासु हो जाते है जबकि महिलाएं मेरे अविवाहित होने के बारे में सुनकर कुछ और ज़्यादा सवाल करने लगते हैं।
आली द्वारा प्रकाशित आली द्वारा 6 राज्यों में (जिसमें उ.प्र., म.प्र., हरियाणा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल व केरल शामिल हैं) इस विषय…
आली द्वारा प्रकाशित आली द्वारा 6 राज्यों में (जिसमें उ.प्र., म.प्र., हरियाणा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल व केरल शामिल हैं) इस विषय…
कुछ अधिकार ऐसे होते हैं, जिन्हें जब तक छीन न लिया जाए, उनके होने का एहसास ही नहीं होता। तुम्हारे लिए किसी लड़की को पसंद करना, प्यार में पड़ना, उनके बारे में अपने दोस्तों से और परिवार वालों से बात करना बिलकुल स्वाभाविक है। तुम जैसा सोचते हो, जैसा महसूस करते हो वह आसानी से कह सकते हो।
यौनिक अधिकार यौनिक अधिकार मानव अधिकारों के मूलभूत तत्व हैं। इनमें आनंदमय यौनिकता को अनुभव करने का अधिकार शामिल है,…
मानव जीवन का एक अभिन्न अंग है, यौनिकता। यौनिकता केवल शारीरिक या भौतिक स्तर पर ही सीमित न होकर हमारी सोच,…