दुनिया एक रंगमंच है
पहले जिन स्त्रीसुलभ व्यवहारों के कारण मुझमें वो मेएलीपन दिखाई देता था, अब वो मेरे जीवन का हिस्सा बन चुका है। वह अब उन सब कपड़ों में जो मैं पहनती हूँ, जिस अंदाज़ में मैं चलती, सोचती और बात करती हूँ या लोक चर्चाओं में भाग लेती हूँ, परिलक्षित होता है।