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मेरे यह पूछने पर कि, “जब आप दुखी होते हैं तो किससे बात करते हैं”, जोगप्पा ने ने कहा “देवी…
भारत में क्विअर ऐक्टिविस्म के लिए 2018 का वर्ष ऐतिहासिक रहा। इस दौरान कोलकाता में आयोजित प्राइड वॉक में मैंने…
This post is a part of TARSHI‘s #TalkSexuality Campaign. विथिका यादव: • क्या कंडोम के इस्तेमाल से सेक्स का मज़ा…
अपने क्वीयर मित्रों की सहयोगी होने के कारण जब लोग मुझसे यह पूछते हैं कि क्या मैं भी क्विअर हूँ,…
किसी व्यस्क व्यक्ति द्वारा अपनी इच्छा से पैसों के भुगतान के बदले दी जाने वाली यौन सेवाओं को सेक्स वर्क (यौन कर्म या आम बोलचाल की भाषा में धंधा करना) कहते हैं। सेक्स वर्क की इस परिभाषा का कौन सा भाग ‘काम’ के बारे में हमारी सोच का उल्लंघन करता है? क्या पैसे के बदले दी जाने वाली सेवाएं? या फिर किसी व्यस्क व्यक्ति द्वारा पैसे के बदले दी जाने वाली सेवा? या, वयस्कों द्वारा आपसी सहमति से पैसे के बदले दी जाने वाली सेवा?
किसी व्यस्क व्यक्ति द्वारा अपनी इच्छा से पैसों के भुगतान के बदले दी जाने वाली यौन सेवाओं को सेक्स वर्क…
सम्पादकीय नोट : इस लेख का पहला भाग अप्रैल के पहले संस्करण में प्रकाशित हुआ था सेक्स वर्कर के अधिकारों…
सम्पादकीय नोट : इस लेख का पहला भाग अप्रैल के पहले संस्करण में प्रकाशित हुआ था सेक्स वर्कर के अधिकारों…
पितृसत्तात्मक समाज में, पुरुषत्व एक विशेष प्रकार के व्यवहार के रूप में प्रकट होता है, जैसे नियंत्रण करना और हावी होना, अक्सर हिंसक तरीकों से।
कानूनी नियमों और हिंदी भाषा के व्याकरणिक नियमों में एक ऐसी समानता है जो द्विलिंगी ढांचों अर्थात जेंडर बाइनरी में न आने वाले लोगों को बहिष्कृत करती है। कानून की नींव परिभाषाओं पर आधारित होती है।
हम कैसी भाषा का प्रयोग करते हैं, अपने ख़्याल कैसे बयां करते हैं, यहां तक कि बात करते दौरान कैसी आवाज़ का इस्तेमाल करते हैं ये सब हमारी सामाजिक परवरिश पर निर्भर करता है।
अभी एक दिन, एक पुराना दोस्त और मैं व्हाट्सएप पर बात कर रहे थे। उन्होंने हाल ही में एक लड़की,…
अपनी परिभाषा, अर्थ और लांछन के आस-पास की अस्पष्टता के कारण यौनिकता एक अछूता, अनदेखा, और मनाही का क्षेत्र बना हुआ है।
कुमाम डेविडसन एक स्वतंत्र पत्रकार, ऐक्टिविस्ट और शिक्षक हैं। वे पूर्वोत्तर भारत में क्विअर विषयों पर डिजिटल और प्रिंट सामग्री…
आख़िर यह कहने का क्या फ़ायदा कि मेरा शरीर मेरा है जब असल में हमारा मतलब यह है कि मेरा शरीर आंशिक रूप से मेरा है और बाकी शरीर मेरे माँ-बाप, जिम, मैं जिन लोगों को चाहती हूँ और वे मुझे नहीं चाहते उनका, मीडिया, समाज और अनगिनत अनजान लोगों का है, जिन्हें लगता है कि वे मुझे राय दे सकते हैं और बता सकते हैं कि मुझे कैसा दिखना चाहिए।