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मनुष्यों के बीच के किसी भी तरह के आपसी सम्बन्धों में सहमति का होना, इन सम्बन्धों की मज़बूत नींव की तरह होना चाहिए। हमारे समाज में हम इस ‘सहमति’ देने या ‘ना’ कह पाने के अधिकार पर प्रतिक्रिया के रूप में नयी तरह की हिंसा को देख पा रहे हैं। अधिकारों को प्रयोग करने की इस प्रक्रिया को केवल किसी व्यक्ति द्वारा अपने अधिकारों के प्रयोग के रूप में न देखकर इसे सभी के लिए सामूहिक रूप से किए जा रहे अधिकारों के प्रयोग के रूप में देखा और समझा जाना चाहिए।
हमें इस तरह से ढाला गया है कि तथाकथित ‘विकल्प’ जो हमारे संबंधों को परिभाषित करते हैं, वे भी हमारे लिए हुए विकल्प नहीं बल्कि समाज द्वारा सृजित हैं। हालाँकि, जैसा कि हमने देखा है, इन सभी चुनौतियों के बावजूद, महिलाएँ, जब वे खुद को व्यक्तियों के रूप में महत्वपूर्ण मानने लगती हैं, तो वे अपने परिवेश और परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत करने की रणनीति तैयार करती हैं।
इसलिए, तुम्हारे आज के स्वः या अवतार के रूप में, मैं तुम्हें अपनी क्षमताओं में विश्वास रखने के लिए प्रोत्साहित करती हूँ, अपने सपनों पर केंद्रित रहना, एक स्वाभाविक मूल्य प्रणाली विकसित करना जो हठधर्मिता से मुक्त हो, हमेशा जिज्ञासु बनी रहना और निरंतर सीखने की अपनी इच्छा का पोषण करना, और अपना जीवन स्वतंत्र रूप से और पूरी तरह से जीना।
Erotica, which according to statistics is largely a women dominated genre, often creates a platform where women across space and time can connect and don’t feel alienated in their sexual needs when they find a heroine with the same desire, or when they read about a plot situation which resonates with their own.
Japleen Pasricha, founder of Feminism in India, lays bare the violence women, LGBTQIA+ folks, and historically marginalised communities face in online spaces, ranging from identity theft, bullying, trolling, to having our private photographs and details disseminated without our consent and being blackmailed.