kabhi khushi kabhie gham
‘कभी वर्ग कभी जेंडर’ – अमेरिका में मानवशास्त्र की क्लास में फ़िल्म कभी ख़ुशी कभी ग़म का विश्लेषण
एक मानवशास्त्रीय दृष्टिकोण से बॉलीवुड की फ़िल्मों में वर्ग और जेंडर के मुद्दों के चित्रण पर ग़ौर करना केथ्रीजी जैसी फ़िल्मों पर नई आलोचनाओं को बढ़ावा देता है।
By Jessica Chandras