सब कुछ पर्दे में है
शुभांगी कश्यप एक ऐसे समाज में जहाँ किसी व्यक्ति द्वारा अपनी यौनिकता की खुली अभिव्यक्ति कर पाना प्रतिबंधित हो और जहाँ जेंडर के बारे में पितृसत्ता के स्थापित मानकों को ही अपनाया जाता हो, वहाँ इस संबंध में किसी भी तरह के प्रयोग कर पाना आसान नहीं होता। स्कूलों में बच्चों के लिए व्यापक यौनिकता…