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कैथ के किरदार और उसके जीवन को दिखाया जाना वास्तव में उन अनगिनत फैनगर्ल्स के प्रति अन्याय ही कहा जाएगा जो एक फैन के रूप में अपनी पहचान को अपने वास्तविक सामाजिक और यौनिक जीवन व रुझानों पर कभी भी हावी नहीं होने देती।
यौनिकता पर संलाप या डिस्कोर्स नया नहीं है। समाज में हर प्रकार के विशेषज्ञों ने इस पर चर्चा की है। विज्ञान से लेकर अध्यात्म तक यौनिकता के प्रसंग विशेषज्ञों को रिझाते रहे हैं।
कई लोगों को नहीं लगता था कि पैरालिंपिक्स वास्तव में एक खेल आयोजन है। लेकिन इन गेम्स ने दिखा दिया कि कैसे विकलांगता के साथ खेलने वाले ऐथलीट्स असाधारण लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं, भले ही उनके आसपास के लोगों को लगता हो कि वे नहीं कर सकते।
शुभांगी कश्यप एक ऐसे समाज में जहाँ किसी व्यक्ति द्वारा अपनी यौनिकता की खुली अभिव्यक्ति कर पाना प्रतिबंधित हो और…
मैं उत्तरी दिल्ली के एक कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में एक छोटे तंग से ऑफिस में हूँ। यहाँ बाहर किसी भी कंपनी…
2006 में जब पहले-पहल मैं दिल्ली आई, उस समय मेरी उम्र 22 वर्ष की थी और मुझे यौनिक व्यंग्य या…
शहरों में सार्वजनिक स्थानों पर अपनी मौजूदगी दर्ज करने के नारीवादी प्रयासों में वर्ग के आधार पर विभाजन को समझने के लिए हमें पहले यह जानना होगा कि किस तरह शहरों में सार्वजनिक स्थान लगातार कम हो रहे हैं और इनके लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है।
वक़्त के साथ मैं समझने लगी कि सिर्फ़ शोषण नहीं, उससे उभरने की प्रक्रिया के साथ मेरा रिश्ता भी मेरा ‘औरत’ होना तय करता है। सदियों से ‘भारतीय नारी’ को हाशिए पर रखा गया है और उसे स्नेह और स्वीकृति सिर्फ़ तब तक दी जाती है जब तक वो अपनी ‘औक़ात’ के बाहर न निकले।
बाल यौन शोषण रोकथाम पर शिक्षा को असरदार बनाने के लिए इसके साथ-साथ व्यापक यौनिकता शिक्षा ज़रूरी है। यौनिकता शिक्षा सिर्फ़ ‘सेक्स कैसे करते हैं?’ तक सीमित नहीं है। इसमें सम्मान के आधार पर बने रिश्तों, रज़ामंदी, यौनिक स्वास्थ्य, सुरक्षित संबंध बनाने के सुझावों, गर्भनिरोध, यौनिक रुझान, जेंडर मानदंडों, शारीरिक छवि, यौन हिंसा वग़ैरह पर जानकारी भी होती है।
व्यापक यौनिकता शिक्षा किशोरावस्था के विकास का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो दृष्टिकोण, व्यवहार, और समग्र विकास को प्रभावित करती है।
इस तरह से नाचना न केवल सार्वजनिक स्थानों पर अपनी मौजूदगी दर्ज करने का तरीका हो सकता है बल्कि यह अपने निजी शरीर में आनंद पाने का उपाए भी है – एक ऐसा आनंद जिसे आजतक केवल काम करते रहने में ही आनंदित होने तक सिमित कर दिया गया था।
घर के काम-काज से
निपट कर
औरतें
दोपहर में
शायद यही बातें करती होंगी
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