- फिर उसने कहा, ‘आई लव यू, मस्ती’
- नृत्य और इच्छा की अभिव्यक्ति – देवदासियों से आधुनिक कथावाचकों तक का सफ़र
- हिजड़ा समाज के भीतर निर्धारित श्रेणीबद्धता
- एकजुटता असंभव सी : रितुपर्णो घोष की फिल्म दहन (1997) की समीक्षा
- इन्टरनेट पर परिवार और यौनिकता : एक रिव्यु
- पहेली चुनाव की : शादी, परिवार और यौनिकता
- प्रमदा मेनन : क्यों परिवार हमारे हमारे दिलो-दिमाग पर इस कदर छाए रहते हैं?
- किशोर और परिवार : संयम, बातचीत और परस्पर निर्भरता पर पुनर्विचार